Rangeela Rasool In Urdu Pdf Download
About Book / बुक के बारे में
Pustak Ka Naam / Name of Book ----- रंगीला रसूल | Rangeela Rasool |
Pustak Ke Lekhak / Author of Book -----पंडित चामुपति | Pandit Chamupati |
Pustak Ki Bhasha / Language of Book ---- HINDI | हिंदी |
Pustak Ka Akar / Size of Ebook -----1.32 MB |
Pustak me Kul Prashth / Total pages in ebook - 58 |
prakasan ki thithi/ Publication Date -----1927 |
Download Sthiti / Ebook Downloading Status -- Best |
Summary of Book / बुक का सारांश
यह १९२७ में पंडित एम.ए. चामुपति या कृष्ण प्रसाद प्रताप नामक एक आर्य समाजी द्वारा लिखा गया था, जिसका नाम हालांकि लाहौर के प्रकाशक, महाशे राजपाल [३] ने कभी नहीं बताया। यह हिंदू समुदाय की ओर से हिंदू देवी सीता को बदनाम करने वाले एक मुस्लिम द्वारा प्रकाशित एक पर्चे के खिलाफ जवाबी कार्रवाई थी।[4][2] मुस्लिम शिकायतों के आधार पर, राजपाल को गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन अप्रैल 1929 में पांच साल के मुकदमे के बाद बरी कर दिया गया क्योंकि धर्म के अपमान के खिलाफ कोई कानून नहीं था।
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It was written by an Arya Samaji named Pandit M. A. Chamupati or Krishan Prashaad Prataab in 1927, whose name however was never revealed by the publisher, Mahashe Rajpal[3] of Lahore. It was a retaliatory action from the Hindu community against a pamphlet published by a Muslim denigrating the Hindu goddess Sita.[4][2] On the basis of Muslim complaints, Rajpal was arrested but acquitted in April 1929 after a five-year trial because there was no law against insult to religion.
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About Writer / लेखक के बारे में
पंडित चमूपति (15 फरवरी, 1893 – 15 जून, 1937) आर्यसमाज के प्रसिद्ध विद्वान और प्रचारक थे। आप हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, उर्दू, अरबी व फारसी आदि अनेक भाषाओं के विद्वान थे। आप अच्छे कवि एवं लेखक भी थे। आपने कई भाषाओं में अनेक प्रसिद्ध ग्रन्थों की रचना की है। उन्होने गुरुकुल में अध्यापन भी किया और आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के उपदेशक व प्रचारक भी रहे।
आचार्य पं0 चमूपति महर्षि दयानन्द के मिशन को आगे बढ़ाने वाले प्रमुख महापुरुषों में से एक महापुरुष थे। वह अतीव प्रतिभासम्पन्न मनीषी, त्यागी, तपस्वी, विद्वान तथा वैदिक धर्म व संस्कृति के लिये समर्पित असाधारण मनुष्य थे। ईसाई मत, इस्लाम तथा आर्य सिद्धान्तों का उन्हें गम्भीर ज्ञान था। इनकी लेखनी में जादू तथा भाषण में रस था।
Pandit Chamupathi (February 15, 1893 – June 15, 1937) was a famous scholar and preacher of the Aryasamaj. He was a scholar of many languages like Hindi, Sanskrit, English, Urdu, Arabic and Persian etc. He was also a good poet and writer. You have composed many famous books in many languages. He also taught in Gurukul and was a preacher and preacher of Arya Pratinidhi Sabha Punjab.
Acharya Pt Chamupati was one of the great men who carried forward the mission of Maharishi Dayanand. He was an amazing humanitarian, tyagi, ascetic, scholar and an extraordinary human being dedicated to Vedic religion and culture. He had serious knowledge of Christianity, Islam and Aryan principles. There was magic in his writing and interest in speech.
"Hinduism is the mother of all religions" – Swami Vivekananda
"हिंदू धर्म सभी धर्मों की जननी है" – स्वामी विवेकानंद।
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Posted by: adriancriste0197647.blogspot.com
Source: https://freehindipustak.com/rangeela-rasool/
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